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झांसी इलाइट चौराहे पर 12 से 15 साल के बच्चे जो कि नशे की लत में पागल हैं इसके पीछे कबाड़ा माफिया सुलोचन के नशे में अंधकार की ओर धकेल रहे हैं

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झांसी:इलाइट चौराहे पर 12-15 साल के बच्चों द्वारा नशे का सेवन,कबाड़ी के शामिल होने की आशंका झांसी के इलाइट चौराहे पर एक गंभीर सामाजिक समस्या ने लोगों का ध्यान खींचा है। जानकारी के अनुसार, 12 से 15 साल की उम्र के कुछ बालक इस व्यस्त चौराहे पर सुलोचन सॉल्वेंट या इनहेलेंट जैसे नशीले पदार्थों का सेवन करते देखे गए हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि इन बच्चों को नशे की लत में धकेलने के पीछे कुछ कबाड़ी स्क्रैप डीलर शामिल हो सकते हैं, जो उन्हें नशे की सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं।प्रत्यक्ष दर्शियों के अनुसार, ये बच्चे अक्सर चौराहे के आसपास इकट्ठा होते हैं और सुलोचन या अन्य सस्ते नशीले पदार्थों का उपयोग करते हैं। यह न केवल उनकी सेहत के लिए खतरनाक है, बल्कि उनके भविष्य और समाज के लिए भी एक बड़ा खतरा बन रहा है। स्थानीय निवासियों ने बताया कि इन बच्चों को कबाड़ बीनने के काम में लगाया जाता है, और बदले में उन्हें नशे की सामग्री दी जाती है। 12 साल के बच्चों द्वारा अस्पताल से निकला बायोमेडिकल कबाड़ जैसे सिरिंज, ड्रिप, दवाइयों के रैपर इकट्ठा कर कबाड़ियों को बेचने से गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा हो सकते हैं।...

झांसी बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में एक बार फिर अनूठी पेंटिंग ने विश्वविद्यालय के छात्रों को चौंकाया

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झांसी बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में एक बार फिर अनूठी पेंटिंग ने विश्वविद्यालय के छात्रों को चौंकाया बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के बाहर एक्ज़ीबिशन प्रदर्शनी का आयोजन है। कलाकारों ने कई प्रकार के हस्तशिल्प स्टॉल लगाए हैं। जिसमें बिहार की प्राचीन कला मधुबनी पेंटिंग ने एक बार फिर बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में लगे हस्तशिल्प प्रदर्शनी में बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र की पहचान मानी जाने वाली मधुबनी पेंटिंग ने एक बार फिर अपनी चमक बिखेरी है। यह कला अद्भुत हैं। मधुबनी बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र की एक प्राचीन कला है। पेंटिंग पारंपरिक रूप से झोपड़ियों की मिट्टी की दीवारों और फर्श पर की जाती थी, लेकिन अब वे कपड़े, हस्तनिर्मित कागज और कैनवास पर भी की जाती हैं और इस्तेमाल किए जाने वाले माध्यम भी उसी के अनुसार विकसित हुए हैं। यह कला अपनी सूक्ष्म डिज़ाइन,जटिल रंग संयोजन और लोककथाओं के चित्रण के लिए प्रसिद्ध है। मधुबनी पेंटिंग का इतिहास हज़ारों वर्षों पुराना माना जाता है। इसे सबसे पहले रामायण काल में राजा जनक की बेटी सीता के विवाह के समय बनाई गई दीवार चित्रकारी के रूप में जाना जाता ह...

झांसी के मेडिकल कॉलेज में 10 नवजात बच्चों की मृत्यु आग से झुलस कर मौत हो गई है

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झांसी के मेडिकल कॉलेज में 10 नवजात बच्चों की मृत्यु आग से झुलस कर मौत हो गई है बच्चों ने अपनी मां का दूध भी नहीं पिया और बच्चों की जान चली गई हैं। एक मां अपनी संतान को 9 महीने अपने खून से सींचती है, उम्मीद में कि उसकी ममता से जीवन का दीप जलेगा लेकिन, सिस्टम की लापरवाही ने उस ख्वाब को चुराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कांपती रूह के नारे दुःखद है ऐसे परिणाम सारे दुःखद है आँखों के आँसू सूखते नही है अब जिंदगी के ऐसे किनारे दुःखद हैं हाय मेरा बच्चा, एक बार चेहरा ही दिखा दो बोलते-बोलते बेहोश हो गई जिगर के टुकडे़ को खोने वाली मां घटना शुक्रवार रात करीब 11 बजे की है झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज से एक हृदयविदारक घटना सामने आई है। पिछले 24 घंटों में यहां के एसएनसीयू स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट में 10 नवजात बच्चों की मृत्यु हो गई। इन मासूमों की असमय मृत्यु ने न केवल उनके परिवारों को गहरे शोक में डुबो दिया है,बल्कि चिकित्सा व्यवस्था और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इन 10 मासूमों की मौत से उनके परिजन गहरे सदमे में हैं। वहीं 16 बच्चे जिंदगी और मौत के बीच ...

21वीं सदी भारत की तो है ही साथ में महिलाओं की भी है राज्यपाल आनंदीबेन पटेल

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झांसी बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी में 29 वा दीक्षांत समारोह का आयोजन में जीवन और पर्यावरण के पांच तत्व आकाश वायु जल पृथ्वी और अग्नि पर काव्यपाठ से हुआ हुआ है में कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने मेधावियों को स्वस्वयं अपने हाथों से मेडल पहनाए हैं मेडल पहनते छात्रों के चेहरे खुशी से झलक उठे राज्यपाल ने कहा है कि शिक्षा से ही दुनिया का विकास होगा और भारत नई ऊंचाइयों पर जाकर देश का नाम रोशन करने करेगा। विद्यार्थियों के लिए यह नया जीवन की शुरुआत का प्रतीक है और विश्वविद्यालय के लिए उपलब्धियां को और आगे बढ़ने का यह छात्रों को अवसर मिला है भारत के लोग विश्व सामाजिक और सांस्कृतिक समृद्धि का संदेश पुरी दुनिया को देते हैं। एक साथ डिजिलॉकर पर 21706 यू जी पी जी की उपलब्धियां डिग्री अपलोड कर दी गई है 36 कुलाधिपति पादक 110 शोध उपाधि 46 विनय विन्यासीक्रत डिग्री अपलोड कर दी गई कुलपति प्रो मुकेश पांडे ने अपने भाषण में कहा की यह बुंदेलखंड की धरती और झांसी में जहां 1857 की स्वतंत्रता संग्राम की समृद्ध सौर एवं महारानी लक्ष्मी के प्राणों के उत्सर्ग की कहानी लिखी गई है जहां वेदव्यास जी वाल्मीकि जी गुरु स्वामी तुलस...

प्रकृति का कहर सब लाचार है प्रकृति के सामने उम्मीद है सरकार अन्नदाता की मदद के लिए उचित कदम उठाएगी

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प्रकृति का कहर सब लाचार है प्रकृति के सामने उम्मीद है सरकार अन्नदाता की मदद के लिए उचित कदम उठाएगी और किसानों को राहत मिलेगी #झांसी #ललितपुर में किसानों पर कहर बनकर टूटा किसानों पर आफत का बोझ अन्य दाता ने दिन और रात मेहनत करके एक एक पाई से किसानों ने खेती की हमारे खेत खलियान अच्छे खेले इस बार पर प्रकृति की मार से किसने की खेती नष्ट हो गई बेचारे लाचार किसने की स्थिति दयनीय हो गई है कभी सूखी जमीन से उनके खेतीयों को नष्ट होता है तो कभी पानी से तो कभी ओले पड़े जाते है खेती किसानी के लिए किसान लोन लेकर खेती-बाड़ी करते हैं बच्चों की तरह उनका पालन पोषण करते हैं और अंत में उनको ईश्वर का कहर बन कर टूट गया और किसान बर्बाद हो गया सरकार अन्नदाताओं की सुनेगी और उनको मुआवजा जल्द से जल्द मिले जिससे किसानों की स्थिति ठीक-ठाक हो सके।

गोवर्धन की पूजा क्यों होती है

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गोवर्धन की पूजा क्यों होती है  गोवर्धन पूजा गोवर्धन की पूजा क्यों होती है इस पुरानी परंपरा को क्या नई युवा पीढ़ी भगवान गोवर्धन जी की पूजा करती है गोवर्धन की पूजा  है दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इसमें भगवान कृष्‍ण, गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा का विधान है। कढ़ी चावल के पकवानों को ‘अन्‍नकूट कहा जाता है। मान्यता है कि ब्रजवासियों की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से विशाल गोवर्धन पर्वत को छोटी अंगुली में उठाकर हजारों जीव-जतुंओं और मनुष्‍यों के जीवन को देवराज इंद्र के कोप से बचाया था। भगवान कृष्‍ण ने देवराज के घमंड को चूर-चूर कर गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी। उस द‍िन से ही गोवर्धन पूजा की शुरुआत हुई। इसे अन्‍नकूट पर्व भी कहते हैं। इस दिन लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन बनाकर उनकी पूजा जाती हैं। तो जानते हैं गोवर्धन की पूजा क्यों की जाती है गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्‍ण ने देवराज इंद्र के घमंड को चूर-चूर कर दिया था और गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी। कथा के अनुसार भगवान कृष्‍ण ने देवराज इंद्र के गुस्से की वजह से होने वाली भारी ब...

मिट्टी के बर्तन के फायदे

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मिट्टी के जादूगर कुमार मिट्टी को कभी धन की देवी लक्ष्मी कभी ज्ञान की देवी सरस्वती तो कभी सिद्धांदाता भगवान तो कभी दीपों का रूप देने वाले कुमार इस डिजिटल युग में पीछे क्यों छोड़ते जा रहे हैं  मिट्टी को अपनी उंगलियों से मनचाहा आकर  देने वाले कुमारों की  जिंदगी पीछे छूट रही है इसके बावजूद कि हम सभी जानते हैं कि पर्यावरण और सेहत के लिए आज से मिट्टी के बर्तन अच्छे होते हैं कुम्हारों को प्रजापति के नाम से भी जाना जाता है कहा जाता है कि भगवान प्रजापति ने ब्रह्मांड की रचना की थी वैसे तो छिटपुट तरीके से कुम्हार देशभर में रहते हैं लेकिन मुख्य तौर पर वह महाराष्ट्र हिमाचल प्रदेश मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ झारखंड बिहार उत्तर प्रदेश राजस्थान आदि में बहु  संख्या में निवास करते हैं मिट्टी के बर्तन का इतिहास मिट्टी के बर्तन का प्रयोग ईसवी पूर्व 15000 साल पहले से किया जा रहा है तो प्राचीन काल में मिट्टी से बने बर्तनों से विभिन्न कला कर्मों के विभाजन किया जाता था शुरू से मिट्टी के बर्तन इंसान के लिए महत्वपूर्ण है इसी वजह से मिट्टी के बर्तन के विभिन्न स्वरूप को भारत भर में देखा जाता है नवपा...