गोवर्धन की पूजा क्यों होती है


गोवर्धन की पूजा क्यों होती है गोवर्धन पूजा गोवर्धन की पूजा क्यों होती है इस पुरानी परंपरा को क्या नई युवा पीढ़ी भगवान गोवर्धन जी की पूजा करती है गोवर्धन की पूजा  है दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इसमें भगवान कृष्‍ण, गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा का विधान है। कढ़ी चावल के पकवानों को ‘अन्‍नकूट कहा जाता है। मान्यता है कि ब्रजवासियों की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से विशाल गोवर्धन पर्वत को छोटी अंगुली में उठाकर हजारों जीव-जतुंओं और मनुष्‍यों के जीवन को देवराज इंद्र के कोप से बचाया था। भगवान कृष्‍ण ने देवराज के घमंड को चूर-चूर कर गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी। उस द‍िन से ही गोवर्धन पूजा की शुरुआत हुई। इसे अन्‍नकूट पर्व भी कहते हैं। इस दिन लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन बनाकर उनकी पूजा जाती हैं। तो जानते हैं गोवर्धन की पूजा क्यों की जाती है गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्‍ण ने देवराज इंद्र के घमंड को चूर-चूर कर दिया था और गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी। कथा के अनुसार भगवान कृष्‍ण ने देवराज इंद्र के गुस्से की वजह से होने वाली भारी बारिश से गोवर्धन पर्वत के नीचे समूचे वृंदावनवासियों को बचाया था। इसके बाद कृष्‍ण ने लोगों को पर्वत और प्रकृति से मिलने वाली वस्तुओं की अहमियत बताने और उनके प्रति सम्मान जताना सिखाने के लिए गोवर्धन पूजा की शुरूआत की थी,इसलिए हर साल गोवर्धन पूजा की जाती है। जिसमें लोग गोबर और साबुत अनाज से भगवान कृष्‍ण और गोवर्धन पर्वत के प्रतीक बनाकर पूजा करते हैं सनातन धर्म के लोगों के ल‍िए गोवर्धन पूजा अत्‍यंत के महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है क्योंकि इसमें गाय माता की पूजा की जाती है। साथ ही यह पूजा पर‍िवार की सुख-समृद्धि, अच्‍छी सेहत और लंबी उम्र की कामना के लिए भी की जाती है।  अपने पशुओं की सुरक्षा के लिए भागने लगे.तब श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव का अहंकार तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठा लिया. सभी ब्रजवासियों ने पर्वत के लिए शरण ली. जिसके बाद इंद्रदेव को अपनी गलती का अहसास हुआ. उन्होंने श्रीकृष्ण से मांफी मांगी. इसके बाद से गोवर्धन पर्वत की पूजा की परंपरा शुरू हुई. इस पर्व में अन्नकूट यानी अन्न और गौ माता की पूजा का बहुत महत्व है।गोवर्धन पूजा के लिए हमको क्या करना चाहिए गोबर से भगवान गोवर्धन चित्र बनाएं. रोली, चावल, खीर, बताशे, जल, दूध, पान, केसर, फूल और दीपक जलाकर भगवान की पूजा करें.



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