झांसी के मेडिकल कॉलेज में 10 नवजात बच्चों की मृत्यु आग से झुलस कर मौत हो गई है
झांसी के मेडिकल कॉलेज में 10 नवजात बच्चों की मृत्यु आग से झुलस कर मौत हो गई है बच्चों ने अपनी मां का दूध भी नहीं पिया और बच्चों की जान चली गई हैं। एक मां अपनी संतान को 9 महीने अपने खून से सींचती है, उम्मीद में कि उसकी ममता से जीवन का दीप जलेगा लेकिन, सिस्टम की लापरवाही ने उस ख्वाब को चुराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कांपती रूह के नारे दुःखद है ऐसे परिणाम सारे दुःखद है आँखों के आँसू सूखते नही है अब जिंदगी के ऐसे किनारे दुःखद हैं हाय मेरा बच्चा, एक बार चेहरा ही दिखा दो बोलते-बोलते बेहोश हो गई जिगर के टुकडे़ को खोने वाली मां
घटना शुक्रवार रात करीब 11 बजे की है
झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज से एक हृदयविदारक घटना सामने आई है। पिछले 24 घंटों में यहां के एसएनसीयू स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट में 10 नवजात बच्चों की मृत्यु हो गई। इन मासूमों की असमय मृत्यु ने न केवल उनके परिवारों को गहरे शोक में डुबो दिया है,बल्कि चिकित्सा व्यवस्था और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इन 10 मासूमों की मौत से उनके परिजन गहरे सदमे में हैं। वहीं 16 बच्चे जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। उनका इलाज जारी है।
अस्पताल परिसर में माताओं के बिलखने की आवाजें, टूटे हुए पिता और परिवारों का आक्रोश हर किसी का दिल झकझोरने वाला है। एक मां ने रुंधे गले से कहा मेरा बच्चा सुबह तक ठीक था, फिर अचानक डॉक्टर ने आकर कहा कि आप का बच्चा नहीं रहा। बच्चों की मां हमारी गलती क्या थी मेरे बच्चे की
मेडिकल कॉलेज का एसएनसीयू पूरे बुंदेलखंड क्षेत्र का सबसे बड़ा केंद्र है, जहां सैकड़ों नवजात बच्चों का इलाज होता है। लेकिन जब इस स्तर के अस्पताल में ही बच्चों की जान बचाने में असफलता हो रही है,तो यह पूरे स्वास्थ्य तंत्र पर एक गंभीर सवाल खड़ा करता है।
सरकार की प्रतिक्रिया:
इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने तत्काल जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है। हालांकि,यह घटना इस बात का प्रमाण है कि कागजों पर योजनाएं बनाना और ज़मीनी स्तर पर उनका प्रभावी क्रियान्वयन दो अलग-अलग बातें हैं।
जिम्मेदार प्रबंधन ही ऐसी घटनाओं को रोकने नाकाम रहा हैं। मेडिकल कॉलेज में हुई इस घटना ने न केवल 10 परिवारों को शोक में डुबो दिया है,बल्कि समाज के हर संवेदनशील व्यक्ति को झकझोर दिया है। यह समय है कि इस त्रासदी से सबक लिया जाए और सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। हर नवजात की जान अनमोल है, और हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी बच्चे को लापरवाही के कारण अपनी जिंदगी न गंवानी पड़े। जब एसएनसीयू में धुआं उठता देखा गया। वहां भर्ती बच्चों की देखभाल के लिए मौजूद नर्स और अन्य स्टाफ ने आग बुझाने का प्रयास किया,लेकिन स्थिति इतनी गंभीर थी कि 10 मासूमों को नहीं बचाया जा सका। इस हादसे से अस्पताल में चीख-पुकार मच गई और माता-पिता के दर्द ने हर किसी का दिल झकझोर दिया।
हादसा का कारण सूत्रों के अनुसार, आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है। एसएनसीयू मे वहां ऑक्सीजन सिलेंडर भी मौजूद थी, जिसने आग को और भड़काने का काम किया। जब आग लगी, तब यूनिट में 46 से ज्यादा नवजात भर्ती थे। धुएं और आग की लपटों के कारण यूनिट में अफरा-तफरी मच गई।
स्टाफ ने तुरंत बच्चों को बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन आग इतनी तेजी से फैली कि 10 बच्चों को बचाया नहीं जा सका। बाकी बच्चों को अन्य वार्डों में शिफ्ट किया गया, जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। और बच्चों का इलाज किया जा रहा है।
परिवारों का विलाप
घटना के बाद का दृश्य दिल दहला देने वाला था। अस्पताल परिसर माताओं की चीखों और पिता के आंसुओं से गूंज उठा। एक मां ने बिलखते हुए कहा,मेरे बच्चे को बचा लो वह यहां इलाज के लिए आया था, लेकिन अब मुझे उसकी लाश मिली। यह अस्पताल या शमशान ?
पिता, जिन्होंने अपने नवजात को कुछ ही घंटों पहले गोद में लिया था, अब उसके जलने से बिगड़े शरीर को देखकर रोते हुए बोले क्या हम इस देश में अपने बच्चों को सुरक्षित नहीं रख सकते अस्पताल में भी जान चली जाती है,तो हम कहां जाएं
अस्पताल प्रशासन की लापरवाही
इस हादसे ने झांसी मेडिकल कॉलेज की सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासन की लापरवाही को उजागर कर दिया है। घटना के समय एसएनसीयू में कोई भी फायर सेफ्टी अलार्म काम नहीं कर रहा था। फायर एक्सटिंग्विशर भी मौजूद थे, लेकिन अधिकांश या तो एक्सपायर थे या इस्तेमाल करने लायक नहीं थे। यह लापरवाही ही मासूमों की जान पर भारी पड़ी।
सरकार और प्रशासन की प्रतिक्रिया
घटना की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन और पुलिस मौके पर पहुंची। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना पर दुख व्यक्त किया और उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
स्वास्थ्य मंत्री ने अस्पताल प्रशासन से 24 घंटे में में रिपोर्ट मांगी है
रिपोर्ट को तीन स्तर से जांच की जा रही है
प्रथम स्तर से स्वास्थ्य विभाग जांच कर रहा रहें है द्वितीय स्तर से जिला प्रशासन जांच कर रहें हैं।
तृतीय स्तर से जिला मजिस्ट्रेट भी जांच करेंगे
झांसी मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू वार्ड में अग्निकाण्ड की हुई दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना में मृतक बच्चों के पीड़ित परिजनों को 5-5 लाख एवं घायलों को 50 हजार रुपए उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से दिए जाने का निर्णय लिया गया है।
एडीजी जोन कानपुर आलोक सिंह द्वारा झॉसी PS नवाबाद क्षेत्र के मेडिकल कॉलेज के #NICU वार्ड में आग लगने की दुःखद घटना में तत्काल मौके पर पहुॅचकर घटनास्थल का निरीक्षण किया गया तथा राहत/बचाव कार्य की समीक्षा कर उपचाराधीन बच्चों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराये जाने हेतु दिशा-निर्देश दिये गये।
विशेषज्ञों का कहना है कि नवजातों के वार्ड में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है, क्योंकि वे धुएं और ऑक्सीजन की कमी के प्रति बेहद संवेदनशील होते हैं। लेकिन यहां इन मानकों की अनदेखी की गई। बाढ़ में बच्चों की संख्या अत्यधिक थी एक बेड पर तीन से चार बच्चों को इलाज किया जा रहा था
झांसी की इस घटना ने पूरे उत्तर प्रदेश ही नहीं भारत में हर जगह दिल हिला दिया है। सोशल मीडिया पर लोग अपने गुस्से का इज़हार कर रहे हैं। आम जनता का कहना है कि सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं और अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर अधिक ध्यान देना चाहिए।
कड़ी कार्रवाई हो और दोषियों को सख्त सजा दी जानी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। हर नवजात की जान अनमोल है और हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी मासूम को ऐसी दर्दनाक मौत का सामना न करना पड़े हैं
घटना के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह झांसी सदर विधायक रवि शर्मा सांसद अनुराग शर्मा राजीव सिंह परीक्षा गरौठा विधायक जवाहरलाल राजपूत कई बड़े नेताओं ने भी इस घटना पर दुख व्यक्त किया हैं।
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