जल संरक्षण और बचाव जल की हर बूंद हमारे लिए अमृत है

जल संरक्षण और बचाव जल की हर बूंद हमारे लिए अमृत है गर्मी के मौसम में देश में कई हिस्सों में पानी की समस्या बढ़ रही जाती है कई जगह पर पानी के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है कुछ जगह पर देखते हैं कि हम पानी बहुत ही गंदा आता है जिसे पानी इस्तेमाल में नहीं लाया जाता हैं अगर हम बाकि चीजे छोड़ दे तो मनुष्य के जीवित रहने के लिए दो चीजो की आवश्यकता है। पानी और अन्न इन दोनों से ही हमारा जीवन चलता है। मगर पानी के बिना तो अन्न भी नहीं है। प्रकृति ने पानी हमारी सभी आवश्यकताओ को पूरा करने के लिए दिया है, जो हमे आसानी से प्राप्त हो जाता है। जिसका उपयोग हम दैनिक कार्यो में करते है। अगर पानी नहीं होता तो कार्य करना तो दूर हम ये सोच भी नहीं सकते की शुरुआत किससे करे, क्योकि सभी में पानी की ही आवश्यकता पड़ती है। हमारे दिनचर्या की शुरुआत पानी से होती है। इसके बिना हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं पानी की कमी के कारण किसानों को खेती किसानी करने में भी दिक्कत आ रही है भारत की अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान जो अधिकांश रूप में मानसून पर निर्भर है जिन लोगों को ट्यूबेल है वहां भी भूजल स्तर गिर रहा है कम बरसात के चलते नहरों में पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं आ पा रहा है गर्मियों में किसानों को खेती करने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है हम सभी को पानी की बचत करना चाहिए जितनी पानी की जरूरत हो उतना ही इस्तेमाल करना चाहिए जल संरक्षण के उपाय नल और पाइप के छोटे बड़े
केज ठीक करवाना चाहिए। सब्जी को नल के नीचे धोने के बजाय किसी बर्तन में धोना चाहिए। जिससे उसका पानी पौधों के काम आ सके। कम पानी खर्च करने वाले शौचालय का निर्माण करवाएं। नहाते समय बड़े जग की जगह छोटी जग का इस्तेमाल करें। अगर शावर से नहाते है तो कम पानी खर्च करने वाले शावर लगवाये। अगर वॉशिंग मशीन नहीं है। अलग-अलग कपड़ों पर पानी डालने के बजाय किसी बड़े बर्तन में एक साथ कपड़े डालकर भिगोले। घर की साफ सफाई और गाड़ी धोने के लिए बाल्टी की जगह कपड़े का इस्तेमाल करें। नहाते समय जितने पानी से आप नहा सकते है, उतना ही उपयोग में ले। हाथ धोते समय और शेविंग करते समय नल को आवश्यकता अनुसार ही चलाएं। पानी भरने के बाद नल को अच्छे से बंद करें क्योंकि बूंद-बूंद से काफी पानी व्यर्थ बह जाता है। कृषि में बूंद बूंद सिंचाई, डीपी, यंत्र और फंवारो का उपयोग करें। जिससे पौधों को आवश्यकता अनुसार पानी मिले। पानी की टंकी भरते समय उसका ध्यान रखे इधर-उधर जाकर लापरवाही ना बरते। एक दिन का पुराना पानी उतना ही स्वच्छ होता है। इस फेकने के बजाये उपयोग में ले। पानी को उपचारित करके दूबारा उपयोग में लेने के तरीकों को अपनाएं। जिससे पानी की काफी बचत होगी।

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