सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों खोले जा रहे हैं खासकर प्राथमिक स्कूल जिनमें छात्रों की संख्या बढ़ने की बजाए घटती जा रही है. आखिर क्यों
सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों खोले जा रहे हैं खासकर प्राथमिक स्कूल जिनमें छात्रों की संख्या बढ़ने की बजाए घटती जा रही है.क्योंकि हर अभिभावक चाहते हैं कि मेरा बच्चा मेरा सपना पूरा करेगा अच्छी शिक्षा प्राप्त करेगा इसलिए वह अच्छे कॉलेज में भेजना चाहते हैं पहले के जमाने में आईएएस पीसीएस ऑफीसर भी सरकारी स्कूलों से अपनी शिक्षा पूर्ण कर कर आज अपनी काबिलियत के दम पर अपने परिवार का नाम रोशन करते हैं पर अब सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या घटती जा रही है कहीं ना कहीं शिक्षा में हम लोगो को सोचना चाहिए ऐसा क्यों हो रहा है हर कोई अपने बच्चे को निजी स्कूलों में पढ़ाई के लिए भेजने लगे हैं चाहे गरीब हो या अमीर हर कोई यही सोच रहा है मेरा बच्चा मेरे देश का नाम रोशन करेगा अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों को बेहतर भविष्य देने के लिए निजी स्कूलों में दाखिला करवा रहे हैं. हालांकि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि निजी स्कूल इसी बात का फायदा उठाकर लोगों की जेबों पर डाका डाल रहे हैं. तरह तरह के हथकंडे अपनाकर बिल्डिंग फंड या अन्य फंड का हवाला देकर मोटी कमाई करने में लगे हैं. शिक्षा के अधिकार खामोश बैठा है
आज के दौर में शिक्षा को कमीशन का व्यापार बन गया है स्कूल फीस का कोई नियम नहीं है निजी स्कूलों की ड्रेस किताबें एक निर्धारित दुकान से ही लेना पड़ती है और हर साल कोर्स को बदल दिया जाता है पहले कोर्स बार बार नहीं बदला जाता था एक बच्चे से दूसरे बच्चे की किताबों से पढ़ाई कर लेते थी इस अभाव के चलते छात्र भी सरकारी स्कूलों में छात्रों की रुचि नहीं दिखती हैं
ज्यादातर प्राथमिक स्कूल या तो कामगारों के बच्चों के कारण चल रहे हैं या फिर जहां नजदीक कोई निजी स्कूल नहीं है सरकारी स्कूलों में आज भाई बच्चे पढ़ रहे जिनके अभिभावक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने के लिए सक्षम नहीं है यह वास्तव में एक बहुत बड़ी वास्तविकता है कि किस तरह से लोग सरकारी स्कूलों से अपना मोह भंग कर रहे हैं पर एक सत्य यह भी है कि सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले गुरु जन ही अपने बच्चों को सरकारी विद्यालय में नहीं पढ़ा रहे हैं इससे यह स्पष्ट होता है या तो उन गुरुजनों को अपनी काबिलियत पर शक है या फिर वह विद्यालय बच्चों के पढ़ाने लायक ही नहीं है जिस विद्यालय में यह गुरुजन पढ़ाते हैं
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